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Dard hindi Poetry। Dard-e-mohabbat

रात होती थी गहरी बहुत! फिर भी रातों को सोया न गया!! जिंदगी में दर्द मिलें थे बहुत! पर आँखों को ज्यादा रोया न गया!! लोगों ने ख्वाब दिखाये बहुत! पर उन ख्वाबों में खोया न गया!! तकलीफ दिल को हुई थी बहुत! काँटे राहों में किसी के बोया न गया!! दर्द की थी गहराई भी बहुत! लेकिन जीवन कभी ढ़ोया न गया!! दिल सबके प्यार से जीते बहुत! झूठें धागो से रिश्तें पिरोया न गया!! इल्म है मोहब्बत दर्द देती है बहुत! पर उसकी निशानी कभी धोया न गया!! *****

Tere Aane Se | Love Hindi Ghazal

                  ये खालीपन जो तेरे आने से भर जाता है! दिल इतनी मोहब्बत तुझसे कर जाता है!! तेरी नजरें मुझे प्यार से जब देखती है! मेरा चेहरा तो और भी सँवर जाता है!! यूँ तो ये वक्त चलता है हर घड़ी हमदम! पर देख तुझे ये वक्त भी ठहर जाता है!! तेरी एक झलक पाने को तरसती हू यू! कि इंतजार में तेरे हर एक पहर जाता है!! तेरा हाथ थामे बीतते है जब दिन रात! इश्क़ चाहत में तेरी हद से गुजर जाता है!! *****

बात करते थे

रूह से रूह के तुम मिलने की बात करते थे! देखे जो कोई मुझे तो जलने की बात करते थे!! वो सिर्फ अल्फ़ाज़ थे या कुछ एहसास भी था! साथ मेरे जब भी तुम चलने की बात करते थे!! तेरे दिल में चाहत थी या कोई दिखावा था! किसी के जब भी तुम छलने की बात करते थे!! तेरे आँसू बहे थे या वो छलावे का पानी था! हमसे जब भी तुम दूर रहने की बात करते थे!! तुमने मोहब्बत की थी या बहलाया था दिल को! गले लगकर जब भी तुम मरने की बात करते थे!! *****

मुश्किल होता है

बातों को पढ़ना आसान... जज्बातों को पढ़ना मुश्किल होता है, जो अल्फ़ाज़ समझे वो दिमाग.... जो जज्बात समझ जाये... वही तो दिल होता है!! मोहब्बत करना आसान.... निभाना मुश्किल होता है, जो नफरत करे किसी से.. वो मोम नही... वही तो संग दिल होता है!! टूटकर जो छोड़ते है... साँसे अपनी किसी गम में, वो वीर नही.... वही तो बुजदिल होता है!! जिंदगी छोड़ना आसान... जीना मुश्किल होता है, जो हर कठिनाईयों को.. अपने हौसलों से पार करे, वो सिर्फ इंसान नही.... वही तो शेरदिल होता है !! *****

सागर ने सिखाया

वो एक ख्वाब ही था, जब मोहब्बत के  सागर में.... हम तैर रहे थे,  किनारों का कुछ पता न था,  बस वो खुशी की लहरें हमें... यहाँ से वहाँ ले जा रही थी,  न डूबने का डर था,  न एक दूजे से दूर जाने का,  प्यार जो उसका मेरे साथ था,  थामा उसने मेरा हाथ था,  न कोई आँधी थी न कोई तूफां,  बहुत खूबसूरत था वो जहाँ,  यूँ ही तैरते हम सागर को देखते रहे,  कुछ वक्त ही गुजरे थे कि,  आसमां से ऐसी बिजली कड़की,  बादल घटा बन बरसने लगे,  किनारे पे आने को हम तरसने लगे,  उस बूँदो के कहर से,  राह हमारा छूट गया,  विश्वास से बना रिश्ता, एक पल मे टूट गया,  वो आगे बढ़ता चला गया,  मैं खड़ी उसे बस देखती रही,   जैसे ही सागर की दहलीज पे,  उसने अपने कदमों को रखा,  सागर ने मुझे डूबो दिया,  फिर एक रोशनी सी आयी और,  सागर का जल कम हुआ,  दूर उसे देख दिल को थोड़ा गम हुआ,  सागर हमें डूबो के जीने का,  अर्थ सीखा रहा था, कुछ चेहरो का हकी...

पैगाम

कोई कहता मैं हिन्दू  हूँ, कोई कहता मैं मुस्लमान हूँ, लेकिन कोई ये ना कहता मैं एक इन्सान हूँ, क्या हिन्दू और क्या मुस्लमान , क्या यही है आज कल लोगों की पहचान , इसलिए लेते है लोग एक दुसरे की जान, धर्म से किसी इन्सान को ना पहचानों, हर किसी को उसकी काबिलियत से जानों, और हर धर्म को दिल से मानो, हर आदमी यहाँ खुदा का बंदा है, लेकिन हर कोई यहाँ अँधा है, बंधी है पट्टी सबके आखों पे धर्म की, उखाड़ फेका है वो मुखौटा शर्म की, लेकर एक दुसरे की जान, कहते हो मैं हूँ एक अच्छा इन्सान, कैसी ये इन्सानियत है, क्या यही लोगों की नियत है, क्यों करते है लोग यहाँ एक दुसरे से नफरत, क्या लोगों की बस यही है हसरत, ऐ खुदा मेरी तुझसे यही है इबादत, मिटाकर उनकें दिलों से नफरत, भर दो एक दूसरे के लिए मोहब्बत!! *****

उड़ान

अभी तो हमने सिर्फ पंख फैलाए है... अभी तो हमारी पूरी उड़ान बाकी है! हर कोई नजर उठा के देखे आसमां में... बनानी अभी वो अपनी पहचान बाकी है! छोटे है पंख हमारे ये देख मुस्कुराना नही.. अभी तो इन पंखों में पूरी जान बाकी है! हौसलों से ही हम अपनी उड़ान भरते है..... पूरी दुनिया में बनानी अभी वो शान बाकी है! अपनी उड़ान में कितने वृक्षों से हम टकराएँगे..... उनसे न टूटकर बढ़ने वाली अभी वो तान बाकी है! आसमां को छूकर तारों से जब नाम लिखेंगे **तन्वी** तो पंक्षीयों की जुबां से निकलनी अभी वो गान बाकी है! ****