अभी तो हमने सिर्फ पंख फैलाए है...
अभी तो हमारी पूरी उड़ान बाकी है!
हर कोई नजर उठा के देखे आसमां में...
बनानी अभी वो अपनी पहचान बाकी है!
छोटे है पंख हमारे ये देख मुस्कुराना नही..
अभी तो इन पंखों में पूरी जान बाकी है!
हौसलों से ही हम अपनी उड़ान भरते है.....
पूरी दुनिया में बनानी अभी वो शान बाकी है!
अपनी उड़ान में कितने वृक्षों से हम टकराएँगे.....
उनसे न टूटकर बढ़ने वाली अभी वो तान बाकी है!
आसमां को छूकर तारों से जब नाम लिखेंगे **तन्वी**
तो पंक्षीयों की जुबां से निकलनी अभी वो गान बाकी है!
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fabulous your line . i liked
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