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अप्रैल, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक दोस्त की लिखाई

दूर होकर किधर जाऊं

यादों की कहानी

थाम ली कलम जुदाई मे

प्यार दिखा था

याद तो आयी होगी मेरी

कितनी रातें बीतायी

ग़ज़ल अश्कों की जुबानी

इश्क के नाम से डर लगता है

पा लिया बहुत कुछ

तन्हा कैसे राह पाते

तेरे साथ का असर था

दर्द की मुलाकात

रख कर सर तकिये पर

यूही नहीं बीते थे

वो रात डूबी तो थी

वो रात डूबी तो थी तेरी यादों की लहर में,  रखा था कदम तुमने जब मेरे ही शहर में!  सुबह का इस कदर इंतजार था मुझे,  कि खुलती रही आँखे हर एक पहर में!  तेरे दीदार ने तरसाया था इतना  मुझे,  कि वक्त दिया शाम का निकले दोपहर में!  तुझे देख भूल जाती हूँ तेरी बेरुखी बातें,  सोचती हूँ कैसे लूँ तुझे अपनी कहर में!  लिखी है 'तन्वी' गजल तेरे एहसास की,  क्योंकि तैर रही है मोहब्बत के बहर में!

ऐ बलात्कारी

  ऐ बलात्कारी …. कैसी है तेरी ये बीमारी, क्यों बने तुम हवस के पुजारी, माँ बाप ने जो ज्ञान दिया, तेरे लिए हर पल जान दिया, भूलकर उनकी बाते सारी, बन गया तू बलात्कारी, पूछ! अपनी आत्मा से, बचपन से तू कैसा है, फिर क्यों तू आज ऐसा है? ऐ बलात्कारी ….. सुन ले एक बात हमारी, तू भी किसी का भाई है, जब सरकेगा तेरी भी बहनों का दुपट्टा, लगेगा तब तुझे भी झटका, जैसे तूने तड़पाया है, तू भी एक दिन तड़पेगा, अपने पाप की सजा तू भी तो भुकतेगा, ऐ बलात्कारी ….. दो हाथों की मिली रब से सौगात प्यारी इन हाथो से तू रक्षक बन, ना की तू भक्षक बन, तू तो है एक महान पुरुष, तेरे है कितने ही रूप, कभी तू राम है, कभी शिव, कभी तू कृष्ण है, कभी विष्णु, तुम ईश तू मुहम्मद साहेब का प्राण, अपने बलिदान से..... कितनों की रक्षा की ईश भगवान, हर बुराइयों से लड़.... मुहम्मद ने कितनों को बनाया मुस्लम ईमान, क्यों करता है तू इनका अपमान, अपने स्वरुप को तू ले पहचान, "तन्वी" कहे...... बचा ले हर एक बिटिया की जान |

Yaad Me Teri Ghazal Likh Rahi Hu || Best Love Hindi Poetry

बीते हुए कुछ मैं कल लिख रही हूँ! याद में तेरी एक ग़ज़ल लिख रही हूँ!! मिलाया था अपनी आँखों को , मैने तेरी ही आँखों से... हुई थी शुरूआत मोहब्बत की , दिल में फूटते पटाखों से... प्यार के कुछ मैं पजल लिख रही हूँ , याद में तेरी एक ग़ज़ल लिख रही हूँ!! वो तेरे होंठों की मुस्कुराहट ने , मेरी धड़कन बढ़ायी थी... तेरी हाथों की छुअन से , मैं थोड़ी घबराई थी... बेताब थी तेरे लबों से जो , प्यार के शब्द सुनने को... वही मैंं सुनहरे पल लिख रही हूँ , याद में तेरी एक ग़ज़ल लिख रही हूँ!! तेरे न मिलने की रब से , मुझे कोई शिकायत नही... ये न समझना अब... मुझे , तुझसे मोहब्बत नही... निकले थे तेरी जुदाई में जो आँसू , आज भी मैं वो जल लिख रही हूँ , याद में तेरी एक ग़ज़ल लिख रही हूँ!!  -  तन्वी सिंह

बहुत कुछ खोना पड़ता है!

बहुत कुछ पाने के लिए...           पहले बहुत कुछ खोना पड़ता है! बहुत मजबूत होने के लिए..            पहले बहुत रोना पड़ता है! बहुत वक्त तक जागने के लिए...            पहले बहुत सोना पड़ता है! बहुत खुशियाँ पाने के लिए...             पहले बहुत कुछ बोना पड़ता है! बहुत खिलखिला कर हँसने के लिए...              पहले दर्द में खुद को डुबोना पड़ता है! बहुत कुछ कमाने के लिए...              पहले मेहनत का बोझ ढोना पड़ता है! इन बातों को समझने के लिए...                खुद ही समझदार होना पड़ता है!  -  तन्वी सिंह

ज़िंदगी जाने कहाँ ले जाती है..

जागते रहे रात भर ये सोचते हुए... ज़िंदगी हमें जाने कहाँ ले जाती है , न पहुँच पाती जहाँ सोच हमारी.. हमें वो वहाँ ले जाती है..... थाम कर हम हाथ उसका , चले जाते है उसके साथ में , हमें वो जहाँ ले जाती है , जागते रहे रात भर ये सोचते हुए , ज़िंदगी हमें जाने कहाँ ले जाती है!! कभी तन्हाई के घर बैठा जाती है... तो कभी शहनाई की गली दिखा जाती है , समझ नही पाते हम जिन रास्तों को , हमें वो वहाँ ले जाती है.... चले जाते है हम साथ उसके , हमें वो जहाँ ले जाती है , जागते रहे रातभर ये सोचते हुए... ज़िंदगी हमें जाने कहाँ ले जाती है!! कभी ऊँचाईयों पर ले जा.... हमें वो आसमां दिखाती है , तो कभी खुद को समझने के लिए , जमीं पर वो गिराती है , सुलझा सके हम जिन्हें... ऐसी पहेली के सागर में ले जाती है , जागते रहे रातभर ये सोचते हुए... जिंदगी हमें जाने कहाँ ले जाती है!! - तन्वी सिंह

वक्त तो लग जाता है!!

दिल पर लगती है जब चोट, समझदारी का मरहम हम लगाते हैं, तो उस जख़्म को भरने में भी... वक्त तो लग जाता है!! चाहते हैं उस दर्द से हमें आँसू न आये, लेकिन छुपा के आँसू को मुस्कुराने में.... वक्त तो लग जाता है!! जख़्म हो न जाये ताजा इसलिए, कुछ यादों को हम मिटाना चाहते हैं, फिर भी उन बातों को भूलने में... वक्त तो लग जाता है!! हम जानते हैंं हम मानते हैंं, खुदा की हर बात अच्छी है, जो होता है अच्छे के लिए, लेकिन दिल को ये बात समझने में... वक्त तो लग जाता है!! - तन्वी सिंह

बदनाम करती है!

हर रात मुझे जाने क्यों वो बदनाम करती है! कलम खुद को जब कागज के नाम करती है!! करती है शिकायतें वो जी भर के मुझसे! कागज से मिले बिना जब वो शाम करती है!! रूठ जाती है कभी-कभी वो मुझसे इस कदर! सुबह से जैसे कितना वो काम करती है!! नींद भी आँखों के करीब खुद को लाती नही! दूर से ही उसे वो नमस्ते सलाम करती है!! वक्त भी मुस्कुरा के देखता है उसे रातभर! जब कलम अपनी मोहब्बत सरेआम करती है!! - तन्वी सिंह 

ज़िंदगी इतनी रंगीन भी है!

जिंदगी है, तो रास्ते भी हैं, रास्ते हैंं तो ठोकरें भी हैंं, ठोकरें हैंं तो मुश्किलें भी हैंं, मुश्किलें हैंं तो हौसले भी हैंं, हौसले हैंं तो मंजिलें भी हैंं, मंजिले हैंं तो पाने की चाहत भी है, चाहत है तो खुशी भी है, खुशी है तो गम भी है, गम है तो मुस्कुराहट भी है, मुस्कुराहट है तो आँसू भी हैंं, आँसू हैंं तो दुनिया गमगीन है, दुनिया गमगीन है तो हसीन भी है, इन रास्तों से गुजरे तो समझ आया, जिंदगी इतनी रंगीन भी है! - तन्वी सिंह