मिलाया था अपनी
आँखों को,
मैने तेरी ही
आँखों से...
हुई थी शुरूआत
मोहब्बत की,
दिल में फूटते
पटाखों से...
प्यार के कुछ मैं
पजल लिख रही हूँ,
याद में तेरी एक
ग़ज़ल लिख रही हूँ!!
वो तेरे होंठों
की मुस्कुराहट ने,
मेरी धड़कन
बढ़ायी थी...
तेरी हाथों की
छुअन से,
मैं थोड़ी घबराई
थी...
बेताब थी तेरे
लबों से जो,
प्यार के शब्द
सुनने को...
वही मैंं सुनहरे पल
लिख रही हूँ,
याद में तेरी एक
ग़ज़ल लिख रही हूँ!!
तेरे न मिलने की रब से,
मुझे कोई शिकायत
नही...
ये न समझना
अब... मुझे,
तुझसे मोहब्बत
नही...
निकले थे तेरी
जुदाई में जो आँसू,
आज भी मैं वो जल
लिख रही हूँ,
याद में तेरी एक
ग़ज़ल लिख रही हूँ!!
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