आसान है क्या
किसी को छोड़....
किसी और को दिल में सजाना ।।
किसी को अपनी सोच से मिटा कर...
किसी और को बसाना।।
किसी का दिल तोड़ कर...
अपनों के लिए किसी
और के साथ जुड़ जाना।।
किसी और की सांसो से निकलकर...
किसी और की सांसो में मिल जाना ।।
आसान है क्या
किसी और के सपने देख...
हकीकत में किसी और का हो जाना।।
किसी और का हाथ छोड़ .....
मंडप में किसी और का
हाथ थाम कर बैठ जाना ।।
आसान है क्या
मोहब्बत का धागा उतार कर...
किसी और की मोतियों के धागों में बंध जाना।।
माथे से किसी के चुंबन को हटाकर...
किसी और के रंग में रंग जाना।।
आसान है क्या
आंखों के सामने अपनी चाहत को ना देख...
अपनी शराफत को देखना।।
अपनी महबूबा के शादी के दिन..
अकेले दर्द में बैठकर आंसू बहाना।।
आसान है क्या
ना चाहते हुए भी उसे....
किसी और के साथ जाते देखना।।
हर दिन ये ख्याल आना....
मुझे छोड़ वो किसी और की बाहों में होगी
हर दिन किसी और की पनाहों में होगी।।
आसान है क्या
बरसों की यादों को...
एक पल में मिटा देना।।
मिले जब कभी वो सामने...
तो आंसुओं को रोक मुस्कुरा देना।।
आसान है क्या
अजनबी से जान होकर.....
फिर अजनबी हो जाना।।
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