इतना सा मुझ पर सनम ऐतबार तो कर लेती । अपने मंडप में मेरा थोड़ा इंतजार तो कर लेती।। मैं आया था वहां दौड़ कर तेरे दरवाजे पर। गले लग कर मुझे थोड़ा प्यार तो कर लेती ।। तेरी दुनिया मैं बसा नहीं पाया तो क्या हुआ। मिलने को खुद को ज़रा बेकरार तो कर लेती।। मैं जानता हूं तोड़ा है मैंने दिल तुम्हारा....। माफी मांगने का थोड़ा हकदार तो कर लेती।। माना कि हमारी दूरी खुदा की फरमाइश थी...। पर चाहत में खुद को थोड़ा वफादार तो कर लेती।। ******
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