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2021 shayri लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Best love poetry। Mohabbat likh rahi hu

  दिल की मैं अपनी हसरत लिख रही हूं। तुझ से हुई शिद्दत से वो मोहब्बत लिख रही हूं।।   जिसे मैं कर न सकी कभी लब से बयां। कलम से मैं अपनी वो चाहत लिख रही हूं।।  मिलता है सुकून जो तेरे पास रहकर। स्याही में लपेटकर वो राहत लिख रही हूं।।  साथ रहकर करते रहे जो नजाकत हम तुम । यादों में समेट कर अपनी वो शरारत लिख रही हूं।।  लिखने को तो लिख दूं हर एहसास को मैं। पर तेरी ना छूटने वाली अपनी वो आदत लिख रही हूं।।  रहो तुम जहां कही भी ओ मेरे हमदम। तेरी खुशी के लिए खुदा से  मैं इबादत लिख रही हूं।। ******

Love shayari। Shauk-e-mohabbat

      शौक-ए-मोहब्बत में मैं इस कदर आबाद हुआ, .          दिल के टुकडे हुए हजार फिर भी दिल सरताज हुआ।।

Best Love Poetry 2021। Pyar ho jaye

 ना करना मुझ पर ऐतबार इतना.... कि तुझसे मेरी बातें हर बार हो जाए ।।    रखना खुद को संभाल कर ऐसे.....  कि दिल तेरा मिलने को न बेकरार हो जाए।।  ख्वाबों में ना लाना इतना मुझे.....  कि तेरी आंखों को मेरा ही इंतजार हो जाए।।  यादों में ना लाना अपनी इस कदर....  कि तेरे लबों को मुझसे इजहार हो जाए।।    चाहत ना बढ़ाना कभी मेरे लिए इतनी......  कि ना चाहते हुए भी मुझे तुझसे प्यार हो जाए ।। ******

Dard hindi Poetry। Dard-e-mohabbat

रात होती थी गहरी बहुत! फिर भी रातों को सोया न गया!! जिंदगी में दर्द मिलें थे बहुत! पर आँखों को ज्यादा रोया न गया!! लोगों ने ख्वाब दिखाये बहुत! पर उन ख्वाबों में खोया न गया!! तकलीफ दिल को हुई थी बहुत! काँटे राहों में किसी के बोया न गया!! दर्द की थी गहराई भी बहुत! लेकिन जीवन कभी ढ़ोया न गया!! दिल सबके प्यार से जीते बहुत! झूठें धागो से रिश्तें पिरोया न गया!! इल्म है मोहब्बत दर्द देती है बहुत! पर उसकी निशानी कभी धोया न गया!! *****

Love emotion poetry । Chahti hu likhna

चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं ... रह गए अधूरे, वो ख्वाब लिखूं या उठते हुए सवालों के जवाब लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... टूटे सपनों की वो रात लिखूं या दबी है सीने में, वो बात लिखूं दर्द की सौगात लिखूं या अपने सारे जज्बात लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... होती है जो तेज, दिल की वो धड़कन लिखूं या हर दिन की मैं, अपनी ही तड़पन लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... अंदर उठती यादों की लहर लिखूं या अल्फाजों का वो कहर लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... वक्त के वो सारे हिसाब लिखूं या अपनी जिंदगी की किताब लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं! -तन्वी सिंह

Love lonely poetry। Mohabbat hai akelepan se

मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से , जहां खुद से खुद की मेरी बात होती है अपने आप से जहां मेरी मुलाकात हाेती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां आसमां, पहाड़, पौधे मेरे साथ होते हैं मुझे थामने को जहां तन्हाई के हाथ होते हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां अपने दिल की आवाज खुद सुनती हूं अच्छे और बुरे विचारों को मैं चुनती हूं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां चिड़िया अपने साज गुनगुनाती है जहां पत्तियां अपनी आवाज सुनाती हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां, पवन मुझे बाहों में भर झूला झुलाती है जहां चांदनी खुद गाकर मुझे लोरी सुनाती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां चांद, सितारों के बीच अकेला होता है शांति होती है वहां, ना कोई मेला होता है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां कुछ बीते पलों की याद सताती है तो मेरी सोच मंजिल का रास्ता बताती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां हाेंठ मेरे बिन कहे भी गुनगुनाते हैं जहां नयन मेरे बेवजह भी बरस जाते हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां मेरी कलम सिर्फ मेरा एहसास समझती है और अल्फाज बनाकर उसे शायरी में कहती है मोहब्बत है मुझे उस अ...