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कुछ एहसास हुआ था

हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था,  साँसे थी वो उसकी..या  सिगार का वो धुआँ था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, घर था वो सितारो का, या गहरा कोई कुआँ था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, नकाब था वो उसका या, सर्द मौसम का कुहा था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, पलकें थी वो उसकी या, मुलायम कोई रूआ था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, हकीकत थी वो 'तन्वी' या, ख्वाबों का कोई जुआ था!

कागज का टुकड़ा

पन्ने पलटते-पलटते जमीं पे गिर पड़ा, वो कागज के टुकड़े जाने कबसे, मेरी किताब मे बंद पड़े थे, नजरे जब उनपे पड़ी तो, हाथो ने उन्हे खोलना चाहा, आँखो ने उन्हे पढ़ना चाहा, शायद बीते वक्त के कुछ अल्फाज लिखे थे, कुछ अधूरे जैसे ख्वाब लिखे थे, न तारीख का पता था न दिन की खबर थी, उन अल्फाजो से तो खुद बेखबर थी, न जाने कितने एहसास कितने जज्बात, दबे रहते है हमारे जहन मे, शायद वही जज्बात स्याही मे लिपट कर, उस कागज पे उतरे थे, उन्हे देख कुछ याद तो आता था, बीते पलो की कुछ बात बताता था, यूही नही रखे थे हम उन्हे किताब मे, उन अल्फाजो से शायद मेरा कुछ तो नाता था, जाने ऐसे कितने कागज के टुकड़े, बिखड़े होते है किताबो के अंदर, उन टुकड़ो को जोड़ देती हू "तन्वी", तो बन जाते है वो अल्फाजो के समंदर !

तेरे फोन का इंतजार

तेरे फोन का इंतजार मैं हर बार करती रही! तुझसे मिलने की दुआ मैं बार-बार करती रही!! वक्त और दिन का हमें मालूम न था..फिर भी! तेरे पास आने की कल्पना लगातार करती रही!! इल्म था हमें तुम्हारे कुछ अल्फा़ज़ झूठे भी है! पर तुझपे ही हमेशाा मै ऐतबार करती रही!! मेरे दिल को तेरे ही दिल की आदत लग गई थी! इसलिए खुद को तेरे लिए ही बेकरार करती रही!! मालूम नही तुझे अब मुझसे मोहब्बत है या नही! पर आज भी तेरी ही यादों से मैं प्यार करती रही!!

समंदर का मजा

कसक तेरी यादों की

                                                                     कसक तेरी यादों की इस कदर समाई है! ना चाहते हुए भी तेरी याद बहुत आई है!! रोकती रही आँखों को पलकों से छलकें ना! पर छुपा के दर्द ये आँखें बहुत घबराई है!! धड़कन बढ़ती हैै आज भी तेरे नाम से ! दिल में इस कदर तेरी मोहब्बत छाई है!! हर रात मेरे अश्क तकिये को चूमते है! तेरी जुदाई ने मेरी ऐसी हालत बनाई है!! कर दिया आजाद तुझे अपनों की ही खातिर! फिर भी तेरी ही मोहब्बत दुनिया को बताई है!!