जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कुछ याद दिला कर तो कुुुछ भुला कर गई, कभी नींंद उड़ा कर तो कभी गहरी नींंद सुला कर गई। जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कभी नफरत भुला कर कभी मोहब्बत सिखा कर गई, कभी इश्क में डुबा कर तो कभी किसी की चाहत में झुला कर गई। जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कभी गले लगा कर कभी गला काट कर गई, कभी गम दिया तो कभी खुशियां बांट कर गई। कभी आसमां में उड़ा कर कभी जमीं पर गिरा कर गई, कभी झूठ को तो कभी हकीकत को दिखा कर गई। कभी वक्त काे खामोश कर कभी वक्त को हिला कर गई, जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कभी हमें वो जिता कर, तो कभी वो हरा कर गई, हर पल कुछ एहसास दिला कर तो कुछ महसूस करा कर गई। कभी शिकवा तो कभी हमसे गिला कर गई, फिर भी शिकायत नहीं तुझसे ऐ जिंंदगी, क्योंकि तू मुुुझेे एक फूल की तरह खिला कर गई। -तन्वी सिंह
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