वो हर वक्त आईने को निहारती रहती थी।न जाने वो क्या सोचती रहती थी। बड़ी मासूमियत से वो अपने को आईने में देखती और कुछ देर बाद बड़ी प्यारी सी मुस्कराहट बिखेर देती थी।ऐसा लगता की उसके मासूम चेहरे में कोई राज छिपा है और वो राज उसके आलावा कोई नही जनता।वो जब सोने भी जाती तो आईने को लेकर । वो ऐसा क्यों करती थी ये किसी को भी नही पता था।न जाने उस आईने में ऐसा क्या थ जो सिर्फ सान्या को ही दीखता था और किसी को नहीं।सान्या की सबसे अच्छी दोस्त मिनाक्षी जो हमेशा उससे पूछती थी की तुझे इस आईने में क्या दिखाई देता है मुझे भी तो बता बहुत ज़िद करने के बाद सान्या बस इतना ही कही;- "आईने में मुझे एक तस्वीर दिखी : सब कुछ था धुंधला बस माथे पे एक लकीर दिखी। समझ नही पा रही थी मैं उस तस्वीर को में जब गौर से देखी तो उस लकीर के नीचे दो आँखे दिखी ...... फिर लगा आईने पे धूल जमी है।जब धूल हटाई तो आईने में मेरी ही खूबसूरत तस्वीर नजर आई। इतना कहकर सान्या चुप हो गयी।मिनाक्षि फिर उससे पूछी मत...
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