सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तेरा ख्याल

यूँ जब चलती हूँ न मैं, तेरा ख़्याल साथ लेकर, जाने क्यों हर वो खूबसूरत ख़्याल, मेरे होंठों पे हँसी बिखेर देता है, यूँ ही मुस्कराते कभी रास्तों पे पड़े, पत्थरों को ठोकर लगाती हूँ, तो कभी आसमां देख कदम बढ़ाती हूँ, तेरे ख़्याल इतने हसीन होते हैं, कि रास्तों का पता नही चलता, जैसे-जैसे तेरे ख़्याल गहरे होते हैं, मैं उड़ती चली जाती हूँ, वक्त का पता भी नही चलता, कब अपनी मंजिल तक पहुँच गई, तेरा ख़्याल ही मेरे रास्तों के साथी होते हैं, जैसे संग दीया और बाती होते हैं, तेरा ख़्याल ऐसे थामे मेरा हाथ होता है, जैसे कोई हमसफर किसी के साथ होता है! -तन्वी सिंह 

Hindi love ghazal। Raat dubi to thi

वो रात डूबी तो थी तेरी यादों की लहर में,  रखा था कदम तुमने जब मेरे ही शहर में!  सुबह का इस कदर इंतजार था मुझे,  कि खुलती रही आँखे हर एक पहर में!  तेरे दीदार ने तरसाया था इतना  मुझे,  कि वक्त दिया शाम का निकले दोपहर में!  तुझे देख भूल जाती हूँ तेरी बेरुखी बातें,  सोचती हूँ कैसे लूँ तुझे अपनी कहर में!  लिखी है 'तन्वी' गजल तेरे एहसास की,  क्योंकि तैर रही है मोहब्बत के बहर में!