दिल लगाया उसने दिल तोड़ने के लिए,
हाथों को थामा उसने छोड़ने के लिए!
कमाल की थी उसकी मोहब्बत...
वादा किया था दूर नहीं जाने का,
पर भूल गया वादा साथ निभाने का!
कमाल की थी उसकी मोहब्बत...
गहराई से तुझे जानता हूँ, कहता था,
पर शक के घेरे में अक्सर वो रहता था!
कमाल की थी उसकी मोहब्बत...
देख मुझे वो गले लगाता भी था,
होके दूर आँसू बहाता भी था !
कमाल की थी उसकी मोहब्बत....
रातों को मुझे वो जगाता भी था,
बातों से अपनी सताता भी था!
कमाल की थी उसकी मोहब्बत...
रह नही पाता बिन तेरे, उसने कहा था
भूल के हर दिन मुझे दूर भी रहा था
कमाल की थी उसकी मोहब्बत...
साथ किसी और का वो निभा गया,
बस इतनी सी मोहब्बत वो दिखा गया!
कमाल की थी उसकी मोहब्बत..
जाते जाते मुझे वो इल्जाम दे गया,
मेरी चाहत को बेवफा नाम दे गया!
कमाल की थी उसकी मोहब्बत!
-तन्वी सिंह
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