चाहती हूं कुछ लिखना
पर सोचती हूं क्या लिखूं ...
रह गए अधूरे, वो ख्वाब लिखूं
या उठते हुए सवालों के जवाब लिखूं!
चाहती हूं कुछ लिखना
पर सोचती हूं क्या लिखूं...
टूटे सपनों की वो रात लिखूं
या दबी है सीने में, वो बात लिखूं
दर्द की सौगात लिखूं
या अपने सारे जज्बात लिखूं!
चाहती हूं कुछ लिखना
पर सोचती हूं क्या लिखूं...
होती है जो तेज,
दिल की वो धड़कन लिखूं
या हर दिन की मैं,
अपनी ही तड़पन लिखूं!
चाहती हूं कुछ लिखना
पर सोचती हूं क्या लिखूं...
अंदर उठती यादों की लहर लिखूं
या अल्फाजों का वो कहर लिखूं!
चाहती हूं कुछ लिखना
पर सोचती हूं क्या लिखूं...
वक्त के वो सारे हिसाब लिखूं
या अपनी जिंदगी की किताब लिखूं!
चाहती हूं कुछ लिखना
पर सोचती हूं क्या लिखूं!
-तन्वी सिंह
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