सुबह लगा एक अरसा हो गया ना सोते हुए।।
तुम्हें क्या पता मोहब्बत छुपाना कैसा होता है।
कुछ ना कह पाए हम तेरे सामने होते हैं ...।।
अपने अश्कों को मुस्कान बनाकर बिखेरते रहे..।
दिल में ना जाने कब से दर्द का बोझ ढोते हुए।।
तुम तो बीते वक्त का एहसास सुनाते रहे ....।
और उन्हें सुनते रहे हम तेरी याद में खोते हुए।।
आज तुम किसी और के अमानत बन गये....।
और रह गए हम तन्हाई की फसल बोते हुए।।
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