सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पैगाम


कोई कहता मैं हिन्दू  हूँ,
कोई कहता मैं मुस्लमान हूँ,
लेकिन कोई ये ना कहता मैं एक इन्सान हूँ,
क्या हिन्दू और क्या मुस्लमान ,
क्या यही है आज कल लोगों की पहचान ,
इसलिए लेते है लोग एक दुसरे की जान,
धर्म से किसी इन्सान को ना पहचानों,
हर किसी को उसकी काबिलियत से जानों,
और हर धर्म को दिल से मानो,
हर आदमी यहाँ खुदा का बंदा है,
लेकिन हर कोई यहाँ अँधा है,
बंधी है पट्टी सबके आखों पे धर्म की,
उखाड़ फेका है वो मुखौटा शर्म की,
लेकर एक दुसरे की जान,
कहते हो मैं हूँ एक अच्छा इन्सान,
कैसी ये इन्सानियत है,
क्या यही लोगों की नियत है,
क्यों करते है लोग यहाँ एक दुसरे से नफरत,
क्या लोगों की बस यही है हसरत,
ऐ खुदा मेरी तुझसे यही है इबादत,
मिटाकर उनकें दिलों से नफरत,
भर दो एक दूसरे के लिए मोहब्बत!!

*****

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Ajnabi Se Jaan Hokar...Phir Ajnabi Ho Jana | Breakup Love Poetry

  आसान है क्या  किसी को छोड़.... किसी और को दिल में सजाना ।। किसी को अपनी सोच से मिटा कर... किसी और को बसाना।। आसान है क्या  किसी का दिल तोड़ कर...   अपनों के लिए किसी  और के साथ जुड़ जाना।।  किसी और की सांसो से निकलकर... किसी और की सांसो में मिल जाना ।। आसान है क्या  किसी और के सपने देख...  हकीकत में किसी और का हो जाना।। किसी और का हाथ छोड़ ..... मंडप में किसी और का  हाथ थाम कर बैठ जाना ।। आसान है क्या  मोहब्बत का धागा उतार कर... किसी और की मोतियों के धागों में बंध जाना।। माथे से किसी के चुंबन को हटाकर...  किसी और के रंग में रंग जाना।। आसान है क्या  आंखों के सामने अपनी चाहत को ना देख...  अपनी शराफत को देखना।। अपनी महबूबा के शादी के दिन..  अकेले दर्द में बैठकर आंसू बहाना।। आसान है क्या  ना चाहते हुए भी उसे....  किसी और के साथ जाते देखना।। हर दिन ये ख्याल आना....  मुझे छोड़‌ वो किसी और की बाहों में होगी  हर दिन किसी और की पनाहों में होगी।। आसान है क्या  बरसों की यादों को... एक पल में मिट...

Pyar to kar leti। Breakup Poems 2021

इतना सा मुझ पर सनम ऐतबार तो कर लेती । अपने मंडप में मेरा थोड़ा इंतजार तो कर लेती।।  मैं आया था वहां दौड़ कर तेरे दरवाजे पर। गले लग कर मुझे थोड़ा प्यार तो कर लेती ।। तेरी दुनिया मैं बसा नहीं पाया तो क्या हुआ।  मिलने को खुद को ज़रा बेकरार तो कर लेती।। मैं जानता हूं तोड़ा है मैंने दिल तुम्हारा....। माफी मांगने का थोड़ा हकदार तो कर लेती।। माना कि हमारी दूरी खुदा की फरमाइश थी...। पर चाहत में खुद को थोड़ा वफादार तो कर लेती।। ******

Love shayari। Shauk-e-mohabbat

      शौक-ए-मोहब्बत में मैं इस कदर आबाद हुआ, .          दिल के टुकडे हुए हजार फिर भी दिल सरताज हुआ।।