वो एक ख्वाब ही था,
जब मोहब्बत के सागर में....
हम तैर रहे थे,
किनारों का कुछ पता न था,
बस वो खुशी की लहरें हमें...
यहाँ से वहाँ ले जा रही थी,
न डूबने का डर था,
न एक दूजे से दूर जाने का,
प्यार जो उसका मेरे साथ था,
थामा उसने मेरा हाथ था,
न कोई आँधी थी न कोई तूफां,
बहुत खूबसूरत था वो जहाँ,
यूँ ही तैरते हम सागर को देखते रहे,
कुछ वक्त ही गुजरे थे कि,
आसमां से ऐसी बिजली कड़की,
बादल घटा बन बरसने लगे,
किनारे पे आने को हम तरसने लगे,
उस बूँदो के कहर से,
राह हमारा छूट गया,
विश्वास से बना रिश्ता,
एक पल मे टूट गया,
वो आगे बढ़ता चला गया,
मैं खड़ी उसे बस देखती रही,
जैसे ही सागर की दहलीज पे,
उसने अपने कदमों को रखा,
सागर ने मुझे डूबो दिया,
फिर एक रोशनी सी आयी और,
सागर का जल कम हुआ,
दूर उसे देख दिल को थोड़ा गम हुआ,
सागर हमें डूबो के जीने का,
अर्थ सीखा रहा था,
कुछ चेहरो का हकीकत,
मुझे वो दिखा रहा था,
वो सागर फिर मुझे किनारे पे छोड़ गया,
बड़े प्यार से एक बात वो कह गया,
कोई छोड़ जाए अगर दामन तुम्हारा,
उसकी याद मे खुद को डुबोना मत,
कोई कितना भी दे जाए दर्द तुम्हें,
अपनी इंसानियत "तन्वी",
कभी तुम खोना मत!
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