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संदेश

दर्द बाँट लो

हमने देखी है वो कश्तियाँ भी, जो किनारा ढूँढते-ढूँढते कही लहरों में खो जाती है, हमने देखी है वो आँखे भी, जो जाने कितने ख्वाब देखते देखते सो जाती है, हमने देखी है वो मासूम निगाहें भी, जो किसी की याद में जाने कितना रो जाती है, हमने देखी है वो ख़ामोशी भी, जो कुछ न कहते हुए भी हर बात वो कह जाती है, हमने देखी है वो बाहें भी, जो जाने कितने लाशों से लिपटी होती है, हमने देखे है वो हाथ भी, जो आखिरी साँस खत्म होने पे उन्हें जला देते है, हमने देखे है वो भूखे पेट भी, जिसकी भूख मिटने की खातिर.. लोग अपना जमीर भूला देते है, हमने देखी है वो गरीबी भी, जो रोटी न मिलने पे खुद को भूखा सुला देते है, हमने देखी है बच्चो की वो मासूमियत भी, जो दो पैसो की खातिर अपना बचपन गवां देते है, एहसास हो जाये गर हमे हर इंसान के दर्द का, इंतजार खत्म हो जाये उनका किसी हमदर्द का, ऐसा नहीं है की इंसानियत मर गई है, बस ऊपर उसके बुराई अपना घर कर गई है, अपने स्वार्थ में इतने मशगूल हो गए है हम, की खुद की पहचान धुलने लगे है, खो गए है अपनी ही जिंदगी में ऐसे, लोगो का दर्द बाँटना भ...

सफर नही हमसफर की बात थी

सफर नही हमसफर की बात थी,  हुई जब उनसे पहली मुलाकात थी!! अनजान ही थे एक दूसरे से हम, खामोशी थी ज्यादा अल्फ़ाज थे कम,  दिल में ही छुपी हमारी जज़्बात थी, सफर नही हमसफर की बात थी... हुई जब उनसे पहली मुलाकात थी!! वो नजरों से नजरें मिलाए जा रहे थे,  खुद को उनसे हम छुपाए जा रहे थे,  दोनों के होंठों पे मुस्कुराहट साथ थी,  सफर नही हमसफर की बात थी.. हुई जब उनसे पहली मुलाकात थी!! गयी थी मिलने मैं उनसे इस कदर,  मिली हो जैसे मुझे मोहब्बत की खबर,  जागकर बीतायी एक दिन पहले की रात थी,  सफर नही हमसफर की बात थी... हुई जब उनसे पहली मुलाकात था !! बातें उसकी दिल में घर करने लगी थी,  हाथों को मिलाया जब धड़कनें बढ़ने लगी थी,  बड़ी खूबसूरत मिली मुझे ये सौगात थी,  सफर नही हमसफर की बात थी... हुई जब उनसे पहली मुलाकात थी !!

जाने कहाँ आज वो हँसी खो गयी

                                     लबों पर खिलखिला के आती थी कभी,  जाने कहाँ आज वो हँसी खो गई! भटक रहे है जिन खुशियों की चाह में,  जाने कहाँ आज वो खुशी खो गई! रोते थे कभी हम बिलख बिलख के, जाने कहाँ आज वो नमी खो गई! महक जाते थे बदन  जिस मिटटी से, जाने कहाँ आज वो जमीं खो गई! हमारी आहट पाने भर से थिरक उठता था, आँगन की कहाँ आज वो हँसी खो गई! सोते थे कभी जो गहरी नींद मे हम, जाने कहाँ आज वो चैन खो गए, देखती थी आँखे जो प्यार की उम्मीद से,  जाने कहाँ आज वो नैन खो गए! भूल गए पैसो की चाह में रिश्तें-नातो को,  जाने कहाँ आज वो उनकी यादें खो गए! किये थे जो वादे अपनों के हाथ थामकर, जाने कहाँ आज वो वादे खो गए! जिसे देख भूल जाती थी हर दर्द मेरी माँ, दुनिया की भीड़ मे जाने कहाँ वो हँसी खो गई! जिंदगी की भाग-दौड़ मे हम उलझे इस तरह, कि पता भी न चला कब हमारी जिंदगी खो गई !

आसमां के नाम

                          यूही खिड़की पे बैठे बैठे, सुबह से शाम कर दी, जैसे अपनी ज़िंदगी उस आसमां के नाम कर दी, वो मुझे मै उसे बस देखती रही, खामोशी मे ही बातें उससे करती रही, जाने क्यों आसमां उदास था, कुछ बूँदे जब गिरी उसकी आँखो से, तो छूकर उन्हें एहसास हुआ, कि कोई दर्द उसके भी पास था, उसकी जिंदगी मे भी कोई खास था, मैने पूछा क्या हुआ है तुम्हें, उसने बूँदो की धार तेज कर दी, उस दिन आसमां रात भर रोया था, शायद उसने अपना प्यार खोया था, सुबह उसकी आँखो की बरसात कम थी, फिर भी उसकी आँखें थोड़ी नम थी, उस दिन भी आसमां खिला नही, शायद आज भी अपनी मुहब्बत से... वो मिला नही..... बादल बनकर आसमां का दर्द, जब जब सामने आता है, बनकर वो बारिस जमीं पे बरसता है, फिर लोगो का दिल भीगने को तरसता है, बारिस मे भीगकर सबके, होठो पे मुस्कान छा जाती है, आसमां भी मुस्कुरा उठता है... उनकी "मस्तानी" खुशी देखकर, भूल जाता है अपना गम, उनकी हँसी देखकर, आसमां गहराई मे.... छुपा के दर्द खिला होता ह...

याद है हमें आज भी

यूही नही लिखते हम अल्फ़ाज़ मोहब्बत का, याद है हमें आज भी वो साज मोहब्बत का! होता हर बातों मे जिक्र उसके मोहब्बत का, याद है हमें आज भी वो फिक्र मोहब्बत का! देखे थे हमने जो ख्वाब मोहब्बत का, बन के रह गया आज वो याद मोहब्बत का! लेते थे हम भी हर एक साँस मोहब्बत का, हुआ था हमें भी एक बार एहसास मोहब्बत का! मिला था हमें भी एक राही खास मोहब्बत का, आया था हमें भी वो सफर रास मोहब्बत का! कैसे भूलेंगे हम “तन्वी” वो रक्त मोहब्बत का, क्योकि याद है हमें आज भी वो वक्त मोहब्बत का!

कुछ एहसास हुआ था

हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था,  साँसे थी वो उसकी..या  सिगार का वो धुआँ था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, घर था वो सितारो का, या गहरा कोई कुआँ था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, नकाब था वो उसका या, सर्द मौसम का कुहा था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, पलकें थी वो उसकी या, मुलायम कोई रूआ था! हमने उसे जब छुआ था, कुछ एहसास हुआ था, हकीकत थी वो 'तन्वी' या, ख्वाबों का कोई जुआ था!

कागज का टुकड़ा

पन्ने पलटते-पलटते जमीं पे गिर पड़ा, वो कागज के टुकड़े जाने कबसे, मेरी किताब मे बंद पड़े थे, नजरे जब उनपे पड़ी तो, हाथो ने उन्हे खोलना चाहा, आँखो ने उन्हे पढ़ना चाहा, शायद बीते वक्त के कुछ अल्फाज लिखे थे, कुछ अधूरे जैसे ख्वाब लिखे थे, न तारीख का पता था न दिन की खबर थी, उन अल्फाजो से तो खुद बेखबर थी, न जाने कितने एहसास कितने जज्बात, दबे रहते है हमारे जहन मे, शायद वही जज्बात स्याही मे लिपट कर, उस कागज पे उतरे थे, उन्हे देख कुछ याद तो आता था, बीते पलो की कुछ बात बताता था, यूही नही रखे थे हम उन्हे किताब मे, उन अल्फाजो से शायद मेरा कुछ तो नाता था, जाने ऐसे कितने कागज के टुकड़े, बिखड़े होते है किताबो के अंदर, उन टुकड़ो को जोड़ देती हू "तन्वी", तो बन जाते है वो अल्फाजो के समंदर !

तेरे फोन का इंतजार

तेरे फोन का इंतजार मैं हर बार करती रही! तुझसे मिलने की दुआ मैं बार-बार करती रही!! वक्त और दिन का हमें मालूम न था..फिर भी! तेरे पास आने की कल्पना लगातार करती रही!! इल्म था हमें तुम्हारे कुछ अल्फा़ज़ झूठे भी है! पर तुझपे ही हमेशाा मै ऐतबार करती रही!! मेरे दिल को तेरे ही दिल की आदत लग गई थी! इसलिए खुद को तेरे लिए ही बेकरार करती रही!! मालूम नही तुझे अब मुझसे मोहब्बत है या नही! पर आज भी तेरी ही यादों से मैं प्यार करती रही!!

समंदर का मजा

कसक तेरी यादों की

                                                                     कसक तेरी यादों की इस कदर समाई है! ना चाहते हुए भी तेरी याद बहुत आई है!! रोकती रही आँखों को पलकों से छलकें ना! पर छुपा के दर्द ये आँखें बहुत घबराई है!! धड़कन बढ़ती हैै आज भी तेरे नाम से ! दिल में इस कदर तेरी मोहब्बत छाई है!! हर रात मेरे अश्क तकिये को चूमते है! तेरी जुदाई ने मेरी ऐसी हालत बनाई है!! कर दिया आजाद तुझे अपनों की ही खातिर! फिर भी तेरी ही मोहब्बत दुनिया को बताई है!!