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संदेश

तेरा ख्याल

यूँ जब चलती हूँ न मैं, तेरा ख़्याल साथ लेकर, जाने क्यों हर वो खूबसूरत ख़्याल, मेरे होंठों पे हँसी बिखेर देता है, यूँ ही मुस्कराते कभी रास्तों पे पड़े, पत्थरों को ठोकर लगाती हूँ, तो कभी आसमां देख कदम बढ़ाती हूँ, तेरे ख़्याल इतने हसीन होते हैं, कि रास्तों का पता नही चलता, जैसे-जैसे तेरे ख़्याल गहरे होते हैं, मैं उड़ती चली जाती हूँ, वक्त का पता भी नही चलता, कब अपनी मंजिल तक पहुँच गई, तेरा ख़्याल ही मेरे रास्तों के साथी होते हैं, जैसे संग दीया और बाती होते हैं, तेरा ख़्याल ऐसे थामे मेरा हाथ होता है, जैसे कोई हमसफर किसी के साथ होता है! -तन्वी सिंह 

Hindi love ghazal। Raat dubi to thi

वो रात डूबी तो थी तेरी यादों की लहर में,  रखा था कदम तुमने जब मेरे ही शहर में!  सुबह का इस कदर इंतजार था मुझे,  कि खुलती रही आँखे हर एक पहर में!  तेरे दीदार ने तरसाया था इतना  मुझे,  कि वक्त दिया शाम का निकले दोपहर में!  तुझे देख भूल जाती हूँ तेरी बेरुखी बातें,  सोचती हूँ कैसे लूँ तुझे अपनी कहर में!  लिखी है 'तन्वी' गजल तेरे एहसास की,  क्योंकि तैर रही है मोहब्बत के बहर में!

यही है जिंदगी

जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कुछ याद द‍िला कर तो कुुुछ भुला कर गई, कभी नींंद उड़ा कर तो कभी गहरी नींंद सुला कर गई। जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कभी नफरत भुला कर कभी मोहब्बत स‍िखा कर गई, कभी इश्क में डुबा कर तो कभी क‍िसी की चाहत में झुला कर गई। जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कभी गले लगा कर कभी गला काट कर गई, कभी गम द‍िया तो कभी खुशियां बांट कर गई। कभी आसमां में उड़ा कर कभी जमीं पर ग‍िरा कर गई, कभी झूठ को तो कभी हकीकत को द‍िखा कर गई। कभी वक्त काे खामोश कर कभी वक्त को ह‍िला कर गई, जिंदगी कभी हंसा कर, कभी रुला कर गई। कभी हमें वो जिता कर, तो कभी वो हरा कर गई, हर पल कुछ एहसास द‍िला कर तो कुछ महसूस करा कर गई। कभी श‍िकवा तो कभी हमसे ग‍िला कर गई, फ‍िर भी श‍िकायत नहीं तुझसे ऐ ज‍िंंदगी, क्योंक‍ि तू मुुुझेे एक फूल की तरह ख‍ि‍ला कर गई। -तन्वी सिंह 

कमाल की थी उसकी मोहब्बत

कमाल की थी उसकी मोहब्बत... दिल लगाया उसने दिल तोड़ने के लिए, हाथों को थामा उसने छोड़ने के लिए! कमाल की थी उसकी मोहब्बत... वादा किया था दूर नहीं जाने का, पर भूल गया वादा साथ निभाने का! कमाल की थी उसकी मोहब्बत... गहराई से तुझे जानता हूँ, कहता था, पर शक के घेरे में अक्सर वो रहता था! कमाल की थी उसकी मोहब्बत... देख मुझे वो गले लगाता भी था, होके दूर आँसू बहाता भी था ! कमाल की थी उसकी मोहब्बत.... रातों को मुझे वो जगाता भी था, बातों से अपनी सताता भी था! कमाल की थी उसकी मोहब्बत... रह नही पाता बिन तेरे, उसने कहा था भूल के हर दिन मुझे दूर भी रहा था कमाल की थी उसकी मोहब्बत... साथ किसी और का वो निभा गया, बस इतनी सी मोहब्बत वो दिखा गया! कमाल की थी उसकी मोहब्बत.. जाते जाते मुझे वो इल्जाम दे गया, मेरी चाहत को बेवफा नाम दे गया! कमाल की थी उसकी मोहब्बत! -तन्वी सिंह

Love emotion poetry । Chahti hu likhna

चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं ... रह गए अधूरे, वो ख्वाब लिखूं या उठते हुए सवालों के जवाब लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... टूटे सपनों की वो रात लिखूं या दबी है सीने में, वो बात लिखूं दर्द की सौगात लिखूं या अपने सारे जज्बात लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... होती है जो तेज, दिल की वो धड़कन लिखूं या हर दिन की मैं, अपनी ही तड़पन लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... अंदर उठती यादों की लहर लिखूं या अल्फाजों का वो कहर लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... वक्त के वो सारे हिसाब लिखूं या अपनी जिंदगी की किताब लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं! -तन्वी सिंह

Love lonely poetry। Mohabbat hai akelepan se

मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से , जहां खुद से खुद की मेरी बात होती है अपने आप से जहां मेरी मुलाकात हाेती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां आसमां, पहाड़, पौधे मेरे साथ होते हैं मुझे थामने को जहां तन्हाई के हाथ होते हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां अपने दिल की आवाज खुद सुनती हूं अच्छे और बुरे विचारों को मैं चुनती हूं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां चिड़िया अपने साज गुनगुनाती है जहां पत्तियां अपनी आवाज सुनाती हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां, पवन मुझे बाहों में भर झूला झुलाती है जहां चांदनी खुद गाकर मुझे लोरी सुनाती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां चांद, सितारों के बीच अकेला होता है शांति होती है वहां, ना कोई मेला होता है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां कुछ बीते पलों की याद सताती है तो मेरी सोच मंजिल का रास्ता बताती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां हाेंठ मेरे बिन कहे भी गुनगुनाते हैं जहां नयन मेरे बेवजह भी बरस जाते हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां मेरी कलम सिर्फ मेरा एहसास समझती है और अल्फाज बनाकर उसे शायरी में कहती है मोहब्बत है मुझे उस अ...

Who is rapist।बलात्कारी कौन?

बलात्कारी कौन है? आखिर ये बलात्कार क्यो? बलात्कारी सही मायने में कौन है?  हम, हमारा समाज, जिसने बलात्कार किया वो, कानून या भ्रष्ट नेता। कौन है बलात्कारी? क्यो किसी का बलात्कार होता है तो हम उसे गिरी हुई निगाहों से देखते है? ऐसा लगता है जैसे उसने कोई पाप किया हो। समाज उसे अलग नजर से देखने लगता है। आखिर क्यों? क्यों लोग उसका साथ छोड़ देते है? जो जिन्दगी भर साथ निभाने का वादा करते है, वो बलात्कार के कारण एक पल में वादा तोड़ देते है। आखिर क्यो? और हमारा कानून। कानून तो सिर्फ पैसो का गुलाम है । सिर्फ पैसो पर नाचना जानता है । सबसे बड़ा बलात्कारी तो ये समाज, ये कानून, ये नेता हैं। जो सिर्फ खुद के बारे में सोचते है। नेताओ को तो सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब है। वो तो जनता के बारे में सोचते भी नही है। इक्‍के-दुक्‍के अच्‍छे नेता होते भी हैं तो उनकी कोई सुनता नहीं है। बाकी नेताओं को जनता की तकलीफों से कोई मतलब नहीं लगता। भाड़ में जाये जनता, हम चुनाव जीत गये बस इतना काफी है।  और हमारा कानून तो इनके तलवे चाटता है। कानून के नुमाइंदों को तो सिर्फ अपने लाभ से मतलब है। किसी की जिन्दगी से नही । इसल...