हकीकत भी तुम हो ख्वाब भी तुम हो , मेरे हर सवाल के जवाब भी तुम हो।। लिखती हैं कलम मेरे जो भी अल्फाज, उन अल्फाजों से बनी मेरी किताब भी तुम हो ।। तेरे एहसास इस कदर समा गए मुझमें, लगता है मेरे दिल के नवाब भी तुम हो।। धड़कते हो मेरे सीने में तुम इस कदर, जैसे मेरे मोहब्बत के रूबाब भी तुम हो।। देखते ही तुझे नशे में हो जाते हम ऐसे, यूं लगता मेरी जिंदगी का शबाब भी तुम हो।। *****
ना करना मुझ पर ऐतबार इतना.... कि तुझसे मेरी बातें हर बार हो जाए ।। रखना खुद को संभाल कर ऐसे..... कि दिल तेरा मिलने को न बेकरार हो जाए।। ख्वाबों में ना लाना इतना मुझे..... कि तेरी आंखों को मेरा ही इंतजार हो जाए।। यादों में ना लाना अपनी इस कदर.... कि तेरे लबों को मुझसे इजहार हो जाए।। चाहत ना बढ़ाना कभी मेरे लिए इतनी...... कि ना चाहते हुए भी मुझे तुझसे प्यार हो जाए ।। ******
जाने वो कैसी दर्द की घड़ी थी ! जब मै तुमसे मिल के बिछड़ी थी!! हर दिन वक्त गुजारती हूँ वहाँ! जिन राहों पे तेरे साथ खड़ी थी!! मिल रही थी जब आँखे हमारी! कुछ वक्त के लिए तो मैं डरी थी!! तेरी यादें मुझे तड़पाती हैं आज भी! तेरी मुहब्बत दिल मे जो पड़ी थी!! तेरी बातें ही मुझे देती है तसल्ली ! क्योंकि तेरी बातों पे ही मैं मरी थी!! भीगी भी थी हम दोनों की पलकें! जब-जब मै तुम्हारे साथ लड़ी थी!! न देख पायी तुझे जाते हुए हमदम! ये आँखें आँसुओं से जो भरी थी!! जब छोड़ दिया मैंने साथ तुम्हारा! कैसे बताऊं वो चोट कितनी हरी थी!! हमने तोड़ दिया दिल तुम्हारा क्योंकि! खून के रिश्तों को मुझसे उम्मीदें बड़ी थी!! ******
बरसों बाद मुझसे उसने इकरार किया था...। गुजरे वक्त में उसने भी मुझसे प्यार किया था।। दिल खुश होने लगा था उसकी यह बातें सुनकर। कि हर दिन उसने भी मेरा इंतजार किया था।। उसके अल्फाज मेरे दिल को छूने लगे थे....। कहा जब तेरी मोहब्बत पर ऐतबार किया था।। उसके एहसासों को हम समझ नहीं पा रहे थे। उसने मेरी मोहब्बत से जब इनकार किया था।। कुछ पल के लिए धड़कन जैसे रुक सी गई,जब। कहा सालों पहले किसी और से इजहार किया था।। कर तो दिया हमेशा के लिए खुद से अलविदा उसे। पर जाने क्यों दिल ने याद उसे हर बार किया था।। *****
उनके आने का इंतजार हर बार होता है। वो वक्त पर आते नहीं ये बार-बार होता है।। उनसे इजहार का ख्याल हर बार होता है। उन्हें देख जुबा कुछ कहती नहीं ये बार-बार होता है।। मेरी आंखों से इशारा हर बार होता है। वो इशारा समझते नहीं ये बार-बार होता है।। हाथ थाम बैठती हूं उनका ये हर बार होता है। फिर भी वह नहीं समझते ये बार-बार होता है।। उन्हें बाहों में भरने का आगाज हर बार होता है। दोस्त कहकर वो भी लगाते गले ये बार-बार होता है।। *****
मेरी चाय की चुस्की में वो गर्माहट है....। जैसे मेरे लबों की तेरे लबों पर आहट है।। हर घूंट में बस तेरा नाम लिए जा रहे हैं.......। हो जाए ना खत्म इसलिए धीरे-धीरे पिए जा रहे हैं।। उस चाय में तेरी मोहब्बत साथ होती है......। इसलिए तो सुबह की चाय मेरे लिए खास होती है।। हर दिन आंख खुलते हैं उस चाय का इंतजार होता है.....। क्या बताऊं उसे पास देखने को दिल कितना बेकरार होता है।। जैसे ही हो जाती है मेरी चाय वो खत्म.........। दिल होता खुश अगली सुबह फिर तेरे पास होंगे हम।। *****