फिर एक ख्वाब अधूरा रह गया...
मोहब्बत के आशियाने में।।
फिर आज कोई टूट गया....
खुशियों का घर बनाने में।।
उसने वक्त भी बीताया...
तो मुझे आजमाने में।।
हम समझते रहे वो रुठे है हमसे
हमने खुद को लुटाया उन्हें मनाने में।।
हम नादान थे जो समझ ना पाए...
वह खुश है हमसे दूर जाने में।।
करते रहे फिर भी हम इंतजार उनका...
वक्त भी लगता है खुद को समझाने में।।
फिर धड़कन जैसे रुक सी गई यह जानकर..की....
लगे है वो अपनी जिंदगी किसी और के साथ सजाने में।।
मोहब्बत के आशियाने में।।
फिर आज कोई टूट गया....
खुशियों का घर बनाने में।।
उसने वक्त भी बीताया...
तो मुझे आजमाने में।।
हम समझते रहे वो रुठे है हमसे
हमने खुद को लुटाया उन्हें मनाने में।।
हम नादान थे जो समझ ना पाए...
वह खुश है हमसे दूर जाने में।।
करते रहे फिर भी हम इंतजार उनका...
वक्त भी लगता है खुद को समझाने में।।
फिर धड़कन जैसे रुक सी गई यह जानकर..की....
लगे है वो अपनी जिंदगी किसी और के साथ सजाने में।।
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