एक वक्त वो भी था.....
जब एहसास मोहब्बत का...
हमें भी हुआ था,
किसी की धड़कनों ने..
मेरी धड़कनों को छुआ था,
एक वक्त वो भी था....
जब एहसास मोहब्बत का...
हमें भी हुआ था।।
मेरी आंखें उसकी आंखों में ही डूबी थी..
ना जाने उसमें क्या ऐसी खूबी थी,
उसके लबों की खामोशी...
इस कदर सता रही थी...
जैसे उसके दिल का पता..
मुझे बता रही थी,
मेरी जिंदगी में जलता...
मोहब्बत का वो धुआं था,
एक वक्त वो भी था....
जब एहसास मोहब्बत का....
हमें भी हुआ था।।
वो गया था...
दो राहों के बीच मुझे छोड़ कर,
रूह का रिश्ता पल भर में तोड़ कर,
सात फेरों के बंधन में जब वह बंधा था...
मैं खड़ी थी तन्हा इश्क के मोड़ पर,
ना जाने प्यार का ये कैसा जुआ था..
एक वक्त वो भी था....
जब एहसास मोहब्बत का...
हमें भी हुआ था।।
मोहब्बत का यह कैसा दस्तूर है...
जिसे चाहा शिद्दत से...
दिल आज उसे भूलाने पर मजबूर है,
जो रहते थे कभी हमेशा दिल के करीब...
आज लगता आसमां से भी वो दूर है,
मेरी चाहत का गहरा हो कुआं था....
एक वक्त वो भी था....
जब एहसास मोहब्बत का...
हमें भी हुआ था।।
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