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संदेश

Love emotion poetry । Chahti hu likhna

चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं ... रह गए अधूरे, वो ख्वाब लिखूं या उठते हुए सवालों के जवाब लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... टूटे सपनों की वो रात लिखूं या दबी है सीने में, वो बात लिखूं दर्द की सौगात लिखूं या अपने सारे जज्बात लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... होती है जो तेज, दिल की वो धड़कन लिखूं या हर दिन की मैं, अपनी ही तड़पन लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... अंदर उठती यादों की लहर लिखूं या अल्फाजों का वो कहर लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं... वक्त के वो सारे हिसाब लिखूं या अपनी जिंदगी की किताब लिखूं! चाहती हूं कुछ लिखना पर सोचती हूं क्या लिखूं! -तन्वी सिंह

Love lonely poetry। Mohabbat hai akelepan se

मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से , जहां खुद से खुद की मेरी बात होती है अपने आप से जहां मेरी मुलाकात हाेती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां आसमां, पहाड़, पौधे मेरे साथ होते हैं मुझे थामने को जहां तन्हाई के हाथ होते हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां अपने दिल की आवाज खुद सुनती हूं अच्छे और बुरे विचारों को मैं चुनती हूं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां चिड़िया अपने साज गुनगुनाती है जहां पत्तियां अपनी आवाज सुनाती हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां, पवन मुझे बाहों में भर झूला झुलाती है जहां चांदनी खुद गाकर मुझे लोरी सुनाती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां चांद, सितारों के बीच अकेला होता है शांति होती है वहां, ना कोई मेला होता है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां कुछ बीते पलों की याद सताती है तो मेरी सोच मंजिल का रास्ता बताती है मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां हाेंठ मेरे बिन कहे भी गुनगुनाते हैं जहां नयन मेरे बेवजह भी बरस जाते हैं मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से जहां मेरी कलम सिर्फ मेरा एहसास समझती है और अल्फाज बनाकर उसे शायरी में कहती है मोहब्बत है मुझे उस अ...

Who is rapist।बलात्कारी कौन?

बलात्कारी कौन है? आखिर ये बलात्कार क्यो? बलात्कारी सही मायने में कौन है?  हम, हमारा समाज, जिसने बलात्कार किया वो, कानून या भ्रष्ट नेता। कौन है बलात्कारी? क्यो किसी का बलात्कार होता है तो हम उसे गिरी हुई निगाहों से देखते है? ऐसा लगता है जैसे उसने कोई पाप किया हो। समाज उसे अलग नजर से देखने लगता है। आखिर क्यों? क्यों लोग उसका साथ छोड़ देते है? जो जिन्दगी भर साथ निभाने का वादा करते है, वो बलात्कार के कारण एक पल में वादा तोड़ देते है। आखिर क्यो? और हमारा कानून। कानून तो सिर्फ पैसो का गुलाम है । सिर्फ पैसो पर नाचना जानता है । सबसे बड़ा बलात्कारी तो ये समाज, ये कानून, ये नेता हैं। जो सिर्फ खुद के बारे में सोचते है। नेताओ को तो सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब है। वो तो जनता के बारे में सोचते भी नही है। इक्‍के-दुक्‍के अच्‍छे नेता होते भी हैं तो उनकी कोई सुनता नहीं है। बाकी नेताओं को जनता की तकलीफों से कोई मतलब नहीं लगता। भाड़ में जाये जनता, हम चुनाव जीत गये बस इतना काफी है।  और हमारा कानून तो इनके तलवे चाटता है। कानून के नुमाइंदों को तो सिर्फ अपने लाभ से मतलब है। किसी की जिन्दगी से नही । इसल...

Who is Tanveeii। परिचय राजकुमारी का

राजकुमारी की कलम से... ब्‍लॉग की दुनिया में कदम रखते हुए पहली जद्दोजहद थी इसका नाम रखने की। कई नाम बने-बिगड़े मन में और फिर तय किया ये नाम। ये नाम यूं तो आत्‍ममुग्‍ध होने का संकेत भी देता है। लगता है कि खुद को ही क्‍यों राजकुमारी कह रही हूं... लेकिन ये आत्‍ममुग्‍धता नहीं, मेरा आत्‍मविश्‍वास और आत्‍मसम्‍मान है। मैं हूं अपने खयालाें की राजकुमारी, अपने शब्‍दों की शहजादी और अपने भावों की मल्लिका... मुझे ये कहना अच्‍छा लगता है कि मैं हूं अपनी ही स्‍वप्‍नपरी... मेरे अंदर बसी इसी राजकुमारी की कलम से निकले शब्‍द यहां मिलेंगे... और ये कलम बनेगी हर उस लड़की की आवाज, जो अपने सपनों की शहजादी है... ये कलम बनेगी हर उस शख्‍स की आवाज, जो खुद अपना शहंशाह है... ये कलम बनेगी आवाज, हर किसी की... - तन्‍वी