राजकुमारी की कलम से...
ब्लॉग की दुनिया में कदम रखते हुए पहली जद्दोजहद थी इसका नाम रखने की। कई नाम बने-बिगड़े मन में और फिर तय किया ये नाम। ये नाम यूं तो आत्ममुग्ध होने का संकेत भी देता है। लगता है कि खुद को ही क्यों राजकुमारी कह रही हूं... लेकिन ये आत्ममुग्धता नहीं, मेरा आत्मविश्वास और आत्मसम्मान है। मैं हूं अपने खयालाें की राजकुमारी, अपने शब्दों की शहजादी और अपने भावों की मल्लिका...
मुझे ये कहना अच्छा लगता है कि मैं हूं अपनी ही स्वप्नपरी...
मेरे अंदर बसी इसी राजकुमारी की कलम से निकले शब्द यहां मिलेंगे...
और ये कलम बनेगी हर उस लड़की की आवाज, जो अपने सपनों की शहजादी है...
ये कलम बनेगी हर उस शख्स की आवाज, जो खुद अपना शहंशाह है...
ये कलम बनेगी आवाज, हर किसी की...
- तन्वी
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