बहुत इंतजार वो करवाती है,
आँखों को बहुत वो सताती है,
जाने क्यों नींद पास मेरे,
बहुत देर से आती है......!!
कैसे-कैसे ख्वाब वो दिखाती है,
कितनें सपने वो सजाती है,
जाने क्यों नींद पास मेरे,
बहुत देर से आती है......!!
खुद ही कभी कितनी बार,
वो मुलाकात कर जाती है,
तो कभी तन्हा मेरी,
वो रात कर जाती है,
जाने क्यों नींद पास मेरे,
बहुत देर से आती है......!!
आती है जब वो साथ निभाने,
पलकों को भी पलकों से मिलाती है,
डूब जाते है जब हम उसकी मोहब्बत में,
अपनी दुनिया की वो सैर कराती है,
जाने क्यों नींद पास मेरे,
बहुत देर से आती है........!!
आती है जब एक रोशनी की किरण,
धीरे- धीरे आँखो से वो निकल जाती है,
जाने क्यों नींद पास मेरे,
बहुत देर से आती है.....!!
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