तुम याद नही आते

     
कैसे कहूँ कि मुझे अब तुम याद नही आते!
तेरे लिए लबों में अब फरियाद नही आते!!

तुमने दिल में मोहब्बत का दीप जला दिया!
कैसे कहूँ धड़कनों को तुम याद नही आते!!

सीखाया तुमने रातों में प्यार भरी बातें करना!
कैसे कहूँ बंद होने पे आँखे तुम याद नही आते!!

खुलती हर सुबह नींद तेरे फोन की घंटी से ही!
कैसे कहूँ उसकी हर घंटी में तुम याद नही आते!!

आँखे बरस जाती तेरी तस्वीर तेरी बातें सोचकर!
कैसे कहूँ आँसूओं की बूँद में तुम याद नही आते!!

पढ़ लेती तेरे वो खत सारे जब बेकरारी बढ़ती!
कैसे कहूँ किसी भी लम्हें में तुम याद नही आते!!

पकड़ा था तुमने मेरी हथेली कभी बड़े प्यार से!
कैसे कहूँ हथेली की खुशबू में तुम याद नही आते!! 

बिछड़े थे हम दोनों एक दूजे को गले लगाकर कभी!
कैसे कहूँ मेरी हर एक साँस  को तुम याद नही आते!!

No comments

Powered by Blogger.