दिल स्वाभिमानी था

एक बार तो आओगे मुलाकात करने!
बीती हुई बातों के बारे मे बात करने!!

हमे भी तो इंतजार है उस पल का !
जब फिर तेरा सामने से दीदार होगा!!

तुम क्या कहोगे और मैं क्या कहूँगी!
दोनों को इस बात का इंतजार होगा!!

यकीं तो है तेरे दिल से याद जाएगी नही!
लबों पे मेरे लिए फरियाद आएगी नही!!

हमें न पता था सच कहना एक गुनाह है!
शायद झूठ कहना ही आज एक पनाह है!!

शक की बुनियाद पे तुमने क्या क्या कहा था!
खामोश रहके मेरा दिल हर बात वो सहा था!!

तेरे अल्फ़ाज़ों में हमदम बेरूखी थी इतनी!
न देखी थी किसी के दिल मे नफरत उतनी!!

अपनी मोहब्बत से इतनी मजबूर हो गई!
बिना कुछ कहे ही मै तुझसे दूर हो गई!!

ना झूकी कभीे  तेरे आगे मोहब्बत में!
क्योंकि तुम थे किसी और की कुर्बत मे!!

नादान थे समझे नही इश़्क तेरा बेमानी था!
दूर गये तुम क्योंकि दिल तेरा अभिमानी था!

न देखी कभी पलट के प्यार तेरा नाकामी था!
छोड़ दी तुझे क्योंकि दिल मेरा भी स्वाभिमानी था !!

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