दर्द की दहलीज

क्यों जिंदगी आज भी,
उसी रास्तें पे खड़ी है,
क्यों इंतजार मे ये,
आँखें वही गड़ी है,
जो चला गया दूर,
दिल उसे क्यों भूल नही पाता,
यादों की किताब से,
नाम उसका क्यों धूल नही पाता,
ये दर्द का जो मंजर है,
चूभता जैसे सीने मे खंजर है,
दर्द ये होता है इतना गहरा,
लगता जैसे समंदर है,
ठहर के उन रास्तों पे,
दर्द में हम क्यों जीते है,
लबों पे झूठी मुस्कान बिखेड़ कर,
आँसूओं को हम क्यों पीते है,
दिल टूट भी जाए अगर,
तुम टूट जाना नही,
जिंदगी से कभी रूठ जाना नही,
बढ़ाओगे कदम हौसलों के साथ..तो,
दर्द की दहलीज पार कर जाओगे,
करते हो आज जिस जिंदगी से नफरत,
उसी जिंदगी से फिर प्यार कर जाओगे!
*****

1 comment:

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