अपने अरमानों को स्याही में सजाकर जब कोरे कागज पे उतारी तो दर्द को देख कलम भी जाने क्यों थम सी गयी । हर अल्फा़ज़ धुॅंधले दिखने लगे, तो एहसास हुआ आॅखों मे जैसे समन्दर की लहरें उठी है। लाख कोशिशे की ये लहरे बाहर न आ पाये। लेकिन ये मोहब्बत की बारिस थी । इन्हे अगर रोक लेती तो ये नासूर बन जाते। तो दिल ने कहा आज इन्हें न रोको, बह जाने दो । न चाहते हुए भी दों बूॅद मोहब्बत के जब कागज पर गिर पड़े । तो दर्द जैसे कुछ कम सा हुआ तो कलम फिर से चल पड़ी! कुछ एहसास जो दबे थे दिल की गहराइयो में कहीं,कुछ बीते पलो की यादें आज भी दफन है कही । उन एहसासो को उन यादों को पन्नो पे उतारी। तो दिल को जाने क्यो एक सुकुन मिला।
’'आँखें जैसे गीली होने लगी,
हाथों से उन्हे छुआ तो मालूम हुआ,
फिर ये आँखें नीली होने लगी।’’
ये आॅंसू भी जाने क्यों पलकों से बाहर आ जाते है। और हर अल्फ़ाज़ों को यूॅ भींगो जाते है, जैसे जाने कितनी वर्षो से ये सूखी पड़ी है। कुछ कहानियाँ अक्सर अधूरी रह जाती है! कभी पन्ने कम प़ड़ जाते है तो कभी स्याही सूख जाती है ।
इंसान कितना भी छिपा ले दर्द अपना। लेकिन जब मोहब्बत के नाम पर आँखों से दो बूॅंद छलक जाते है, तो दिल में छिपे दर्द साफ झलक जाते है।
"दो बूॅंद मोहब्बत के,
आँखों से जो बह गये,
लब तो खामोश ही रहे,
लेकिन सारे जज्बात वो कह गये।’’
उसके अहसासों का समंदर हिल जाता है मेरे बदन में,,, न जाने कितनी गहराई से छुआ था उसने,,,प्यार के जज्बातों की लहर उसकी उंगलियों में साफ दिख रही थी जब उसने छुआ,,,बस कसक अब यही है कि आखिर बो चली क्यो गई,,? आहट उसके हुनर की मुझे सताए जा रही है कि काश बो एक बार मिल जाती,,,,मैं उसे दुबारा जाने के रास्ते बंद कर देता,,,समाहित कर लेता खुदकी सिकन से,,✍✍
जवाब देंहटाएंAmazing point to point love words of tanveeii ... Bahut khub,,
बहुत...बहुत..धन्यवाद आपका !
हटाएंक्या कहुँ मेरे पास तो शब्द नहीं । बस यूं ही चलते रहना । अपनी कलम से!
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