सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Heartouching Love Poem। Tum Ho


tum ho mera pyar, tum bhi ho ,tum ho cover,dil me ho tum, tum ho ek vajah, mile ho tum, tum hi ho,tum ho poem
    हकीकत भी तुम हो ख्वाब भी तुम हो,
मेरे हर सवाल के जवाब भी तुम हो।।

लिखती हैं कलम मेरे जो भी अल्फाज,
उन अल्फाजों से बनी मेरी किताब भी तुम हो।।

तेरे एहसास इस कदर समा गए मुझमें,
लगता है मेरे दिल के नवाब भी तुम हो।।

धड़कते हो मेरे सीने में तुम इस कदर, 
जैसे मेरे मोहब्बत के रूबाब भी तुम हो।।

देखते ही तुझे नशे में हो जाते हम ऐसे,
यूं लगता मेरी जिंदगी का शबाब भी तुम हो।।

*****

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Ajnabi Se Jaan Hokar...Phir Ajnabi Ho Jana | Breakup Love Poetry

  आसान है क्या  किसी को छोड़.... किसी और को दिल में सजाना ।। किसी को अपनी सोच से मिटा कर... किसी और को बसाना।। आसान है क्या  किसी का दिल तोड़ कर...   अपनों के लिए किसी  और के साथ जुड़ जाना।।  किसी और की सांसो से निकलकर... किसी और की सांसो में मिल जाना ।। आसान है क्या  किसी और के सपने देख...  हकीकत में किसी और का हो जाना।। किसी और का हाथ छोड़ ..... मंडप में किसी और का  हाथ थाम कर बैठ जाना ।। आसान है क्या  मोहब्बत का धागा उतार कर... किसी और की मोतियों के धागों में बंध जाना।। माथे से किसी के चुंबन को हटाकर...  किसी और के रंग में रंग जाना।। आसान है क्या  आंखों के सामने अपनी चाहत को ना देख...  अपनी शराफत को देखना।। अपनी महबूबा के शादी के दिन..  अकेले दर्द में बैठकर आंसू बहाना।। आसान है क्या  ना चाहते हुए भी उसे....  किसी और के साथ जाते देखना।। हर दिन ये ख्याल आना....  मुझे छोड़‌ वो किसी और की बाहों में होगी  हर दिन किसी और की पनाहों में होगी।। आसान है क्या  बरसों की यादों को... एक पल में मिट...

Best love poetry। Mohabbat likh rahi hu

  दिल की मैं अपनी हसरत लिख रही हूं। तुझ से हुई शिद्दत से वो मोहब्बत लिख रही हूं।।   जिसे मैं कर न सकी कभी लब से बयां। कलम से मैं अपनी वो चाहत लिख रही हूं।।  मिलता है सुकून जो तेरे पास रहकर। स्याही में लपेटकर वो राहत लिख रही हूं।।  साथ रहकर करते रहे जो नजाकत हम तुम । यादों में समेट कर अपनी वो शरारत लिख रही हूं।।  लिखने को तो लिख दूं हर एहसास को मैं। पर तेरी ना छूटने वाली अपनी वो आदत लिख रही हूं।।  रहो तुम जहां कही भी ओ मेरे हमदम। तेरी खुशी के लिए खुदा से  मैं इबादत लिख रही हूं।। ******

एक हरी पती

वो सूखा पेड़ जिसकी पतियाँ सूख कर, चारों तरफ हवाओं मे बिखरी पड़ी थी, लेकिन आज भी उस पेड़ में, कुछ हरी पतियाँ नजर आती थी, घूमते घमते मैं आज भी उस, पेड़ के ही नीचे जा बैठी, अचानक उस पेड़ की एक हरी पती, हौले से मेरी गोद में आ गिरी, उस खूबसूरत पती को उठा कर, अपने बाजू में प्यार से रख दी, और अपनी ही दुनिया में खो गई, फिर एक मीठी सी आवाज, मेरे कानों में बजने लगी, नजरों ने जब खुद को घूमाया, तो ये एहसास हुआ कि, तो वो आवाज उस पती की थी, जो मुझसे बार बार पूछ रही थी, तुम क्यों हर दिन इस पेड़, के ही नीचे आकर बैठती हो, ये चारों तरफ हरे भरे पेड़, तुम्हें छायादार करते है फिर भी तुम, इस सूखे पेड़ के नीचे क्यों..? उसकी मासूम सवालों से जाने क्यों, मेरी आँखो से आँसू छलक गए, और मेरी आँसूओ की एक बूँद, वो खुद में ही समेट ली और, बड़ी मासूमियत से कहा, "लगता है कोई तेरे दिल, के रास्तें से गुजरकर, अपने निशां छोड़ गया है!" फिर एक हवा के झोके से, वो मेरी गोद मे आ गई, और बडे़ प्यार से कहा...ओ रानी, तेरी आँसू की एक बूँद से, मुझपे जो धू...