यूही नही लिखते हम अल्फ़ाज़ मोहब्बत का, याद है हमें आज भी वो साज मोहब्बत का! होता हर बातों मे जिक्र उसके मोहब्बत का, याद है हमें आज भी वो फिक्र मोहब्बत का! देखे थे हमने जो ख्वाब मोहब्बत का, बन के रह गया आज वो याद मोहब्बत का! लेते थे हम भी हर एक साँस मोहब्बत का, हुआ था हमें भी एक बार एहसास मोहब्बत का! मिला था हमें भी एक राही खास मोहब्बत का, आया था हमें भी वो सफर रास मोहब्बत का! कैसे भूलेंगे हम “तन्वी” वो रक्त मोहब्बत का, क्योकि याद है हमें आज भी वो वक्त मोहब्बत का!
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